सैनिक ...
......................सैनिक ......................
हे शूरवीर,है महा धीर , है साहस के अनुपम प्रवीर,
तुमसे ही भारत-माता का आंचल रक्षित है प्रलय -वीर।
तुमसे ही संतति भारत की अनुप्राणित होती थर्मवीर,
तुमने ही देश के दुश्मन का सीना पल भर मे दिया चीर।
अभ्युदय हुआ जब भारत का हर बार शहादत दी तुमने,
अक्षुण्ण देश भारत अपना हर बार ये सिद्ध किया तुमने।
दुश्मन को भारत वासी तो पहले आचार सिखाते हैं,
दुश्मन कृतघ्न हो 'गर तो वो ज़लज़ला बन आ जाते हैं।
अपकार नहीं प्रतिकार लिया करतें हैं देश के दुश्मन से,
अपरदम है संसार सखे हम यही बताया करते हैं।
वो प्रगल्भ समझते हैं ख़ुद को हम क्षीण वपु हैं नहीं कोई,
कर्तव्य राह पर चल दुश्मन को अन्तिम सांस हम देते हैं।
हम सैनिक रण-बांकुरे हैं अपलक सीमा पर रहते हैं,
प्रवंचना नहीं सीखी हमने हम प्रहार सीने पर करते हैं।
हम भारत के सैनिक यारों,सीना हम छलनी कर देंगे,
जो पैर बढ़ेगा दुश्मन का उस पैर के टुकडे कर देंगे।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Shashank मणि Yadava 'सनम'
26-Mar-2023 07:47 AM
लाजवाब लाजवाब
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Swati chourasia
26-Mar-2023 07:25 AM
बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌
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Gunjan Kamal
26-Mar-2023 12:58 AM
बहुत ही सुन्दर
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